Kamada Ekadashi Vrat Katha धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे: हे भगवन्! मैं आपको कोटि-कोटि नमन करता हूँ। आपने चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी अर्थात पापमोचनी एकादशी के बारे मे विस्तार पूर्वक बतलाया। अब आप कृपा करके चैत्र शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी विधि एवं महात्म्य क्या है? भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे धर्मराज! चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की…
Som Pradosh Vrat Katha एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था, इसलिए प्रातः होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही…
Shri Tulsi Namashtakam Strotam वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपुजिता, विश्वपावनी ।पुष्पसारा, नंदिनी च तुलसी, कृष्णजीवनी ॥ एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम ।य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत ॥ वृन्दायै नमः ।वृन्दावन्यै नमः ।विश्वपूजितायै नमः ।विश्वपावन्यै नमः ।पुष्पसारायै नमः ।नन्दिन्यै नमः ।तुलस्यै नमः ।कृष्णजीवन्यै नमः ॥8
Shambhu Stuti नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणंनमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तंनमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥१॥ नमामि देवं परमव्ययंतंउमापतिं लोकगुरुं नमामि ।नमामि दारिद्रविदारणं तंनमामि रोगापहरं नमामि ॥२॥ नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपंनमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् ।नमामि विश्वस्थितिकारणं तंनमामि संहारकरं नमामि ॥३॥ नमामि गौरीप्रियमव्ययं तंनमामि नित्यंक्षरमक्षरं तम् ।नमामि चिद्रूपममेयभावंत्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥ नमामि कारुण्यकरं भवस्याभयंकरं वापि सदा नमामि ।नमामि दातारमभीप्सितानांनमामि सोमेशमुमेशमादौ…
Shabad Hazare माझ महला ५ चउपदे घरु १ ॥ मेरा मनु लोचै गुर दरसन ताई ॥ बिलप करे चात्रिक की निआई ॥ त्रिखा न उतरै सांति न आवै बिनु दरसन संत पिआरे जीउ ॥१॥ हउ घोली जीउ घोलि घुमाई गुर दरसन संत पिआरे जीउ ॥१॥ रहाउ ॥ तेरा मुखु सुहावा जीउ सहज धुनि बाणी ॥ …
Mohini Ekadashi Vrat Katha धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा: हे भगवन्! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। आपने वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी अर्थात वरुथिनी एकादशी के बारे मे विस्तार पूर्वक बतलाया। अब आप कृपा करके वैशाख शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी कथा क्या है? इस व्रत की क्या विधि है, यह सब विस्तारपूर्वक…
Ganga Dussehra Katha भगवान् श्रीरामका जन्म अयोध्याके सूर्यवंशमें हुआ था। चक्रवर्ती महाराज सगर उनके पूर्वज थे। उनकी केशिनी और सुमति नामकी दो रानियाँ थीं। केशिनीके पुत्रका नाम असमञ्जस था और सुमतिके साठ हजार पुत्र थे। असमञ्जसके पुत्रका नाम अंशुमान् था। राजा सगरके असमञ्जससहित सभी पुत्र अत्यन्त उद्दण्ड और दुष्ट प्रकृतिके थे, परंतु पौत्र अंशुमान् धार्मिक और देव-गुरुपूजक था। पुत्रोंसे दुःखी होकर महाराज सगरने…
Nama Traya Astra Mantra अच्युताय गोविन्दाय अनंताय । ॐ अच्युताय नमः ॥ॐ गोविन्दाय नमः ॥ॐ अनंताय नमः ॥ Nama Traya Astra Mantra (नाम त्रय अस्त्र मन्त्र) Achyuta Ananta Govinda । Om Achyutaya Namaha ॥Om Anantaya Namaha ॥Om Govindaya Namaha ॥