संस्कृत दिवस – Sanskrit Diwas

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Sanskrit Diwas

भारत में हर साल श्रावणी पूर्णिमा के शुभ अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारी संस्कृति में संस्कृत भाषा के प्राचीनतम भाषा होने की वजह से यह दिन मनाया जाता है। संस्कृत लगभग सभी वेदों और पुराणों की भाषा है। इसलिए लोगों में संस्कृत भाषा के प्रति सम्मान है। हमारे धार्मिक ग्रंथों और मन्त्रों का वर्णन अधिकतर इसी भाषा में मिलता है। संस्कृत दिवस अपने आप में बहुत अनूठा है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी अन्य प्राचीन भाषा में इस तरह से उत्सव नहीं मनाया जाता है।

संस्कृत दिवस क्यों मनाया जाता है?
इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि भारतीय धार्मिक संस्कृति द्वारा संस्कृत को ‘देव भाषा‘ का दर्जा दिया गया है, फिर भी यह भाषा अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है। अब भारत में भी विदेशी भाषाओं और अंग्रेजी के बढ़ते महत्व के कारण संस्कृत पढ़ने, लिखने और समझने वालों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। इसलिए, संस्कृत दिवस और संस्कृत सप्ताह भारतीय समुदाय या समाज को संस्कृत के महत्व और आवश्यकता को याद दिलाने और जन मानस में इसके महत्व को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

संस्कृत दिवस कैसे मनाया जाता है?
इस दिन श्रावणी पूर्णिमा या रक्षाबंधन पर ऋषि-मुनियों का स्मरण और पूजन कर समर्पण का भाव रखा जाता है और हमारे ऋषि-मुनि संस्कृत साहित्य के मूल स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसे ऋषि पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

इस दिन भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से वर्ष 1969 में केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तभी से श्रावण की पूर्णिमा के दिन पूरे भारत में संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इसके लिए श्रावण पूर्णिमा के दिन को चुनने का कारण यह है कि हमारे प्राचीन भारत में इस दिन से ही शिक्षण सत्र और वेद पाठ शुरू हुआ था और छात्र भी इसी दिन से शास्त्रों का अध्ययन करने लगे थे। संस्कृत दिवस और संस्कृत सप्ताह मनाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना है।


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