Pithori Amavasya

पिठोरी अमावस्या – Pithori Amavasya

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Pithori Amavasya

हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है और विशेष महत्व भी होता है। पिठोरी अमावस्या पर पितृ तर्पण आदि धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे कुश अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन महिलाएं मां दुर्गा की उपासना करती हैं और अपने पुत्रों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।

पिठोरी अमावस्या व्रत 2024 की पूजा विधि?
– पिठोरी अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
– नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
– भगवान विष्णु और महादेव की विधि-विधान से पूजन अर्चन के साथ दान पुण्य करें।

पिठोरी अमावस्या का महत्व
– पिठोरी अमावस्या का व्रत करने से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है।
जो माताएं इस व्रत को करती हैं उन्हें संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
– महिलाएं इस दिन मां दुर्गा सहित 64 देवियों की आटे से मूर्तियां बनाते हैं और पूजा-अर्चना करती हैं।

मान्यता है कि पिठोरी अमावस्या का व्रत और पूजन केवल सुहागिन महिलाएं ही कर सकती हैं।

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