Kuchaji Suchaji Gunvanti

कुचजी सुचजी गुणवंती- Kuchaji Suchaji Gunvanti

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Kuchaji Suchaji Gunvanti

रागु सूही महला १ कुचजी

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

मंञु कुचजी अमावणि डोसड़े हउ किउ सहु रावणि जाउ जीउ ॥ 

इक दू इकि चड़ंदीआ कउणु जाणै मेरा नाउ जीउ ॥ 

जिन्ही सखी सहु राविआ से अ्मबी छावड़ीएहि जीउ ॥ 

से गुण मंञु न आवनी हउ कै जी दोस धरेउ जीउ ॥ 

Kuchaji Suchaji Gunvanti

किआ गुण तेरे विथरा हउ किआ किआ घिना तेरा नाउ जीउ ॥ 

इकतु टोलि न अ्मबड़ा हउ सद कुरबाणै तेरै जाउ जीउ ॥ 

सुइना रुपा रंगुला मोती तै माणिकु जीउ ॥ 

से वसतू सहि दितीआ मै तिन्ह सिउ लाइआ चितु जीउ ॥ 

मंदर मिटी संदड़े पथर कीते रासि जीउ ॥ 

हउ एनी टोली भुलीअसु तिसु कंत न बैठी पासि जीउ ॥ 

अ्मबरि कूंजा कुरलीआ बग बहिठे आइ जीउ ॥ 

सा धन चली साहुरै किआ मुहु देसी अगै जाइ जीउ ॥ 

सुती सुती झालु थीआ भुली वाटड़ीआसु जीउ ॥ 

तै सह नालहु मुतीअसु दुखा कूं धरीआसु जीउ ॥ 

तुधु गुण मै सभि अवगणा इक नानक की अरदासि जीउ ॥ 

सभि राती सोहागणी मै डोहागणि काई राति जीउ ॥१॥


सूही महला १ सुचजी ॥

जा तू ता मै सभु को तू साहिबु मेरी रासि जीउ ॥ 

तुधु अंतरि हउ सुखि वसा तूं अंतरि साबासि जीउ ॥ 

भाणै तखति वडाईआ भाणै भीख उदासि जीउ ॥ 

भाणै थल सिरि सरु वहै कमलु फुलै आकासि जीउ ॥ 

भाणै भवजलु लंघीऐ भाणै मंझि भरीआसि जीउ ॥ 

भाणै सो सहु रंगुला सिफति रता गुणतासि जीउ ॥ 

भाणै सहु भीहावला हउ आवणि जाणि मुईआसि जीउ ॥ 

तू सहु अगमु अतोलवा हउ कहि कहि ढहि पईआसि जीउ ॥ 

किआ मागउ किआ कहि सुणी मै दरसन भूख पिआसि जीउ ॥ 

गुर सबदी सहु पाइआ सचु नानक की अरदासि जीउ ॥२॥


सूही महला ५ गुणवंती ॥

जो दीसै गुरसिखड़ा तिसु निवि निवि लागउ पाइ जीउ ॥ 

आखा बिरथा जीअ की गुरु सजणु देहि मिलाइ जीउ ॥ 

सोई दसि उपदेसड़ा मेरा मनु अनत न काहू जाइ जीउ ॥ 

इहु मनु तै कूं डेवसा मै मारगु देहु बताइ जीउ ॥ 

हउ आइआ दूरहु चलि कै मै तकी तउ सरणाइ जीउ ॥ 

मै आसा रखी चिति महि मेरा सभो दुखु गवाइ जीउ ॥ 

इतु मारगि चले भाईअड़े गुरु कहै सु कार कमाइ जीउ ॥ 

तिआगें मन की मतड़ी विसारें दूजा भाउ जीउ ॥ 

इउ पावहि हरि दरसावड़ा नह लगै तती वाउ जीउ ॥ 

हउ आपहु बोलि न जाणदा मै कहिआ सभु हुकमाउ जीउ ॥ 

हरि भगति खजाना बखसिआ गुरि नानकि कीआ पसाउ जीउ ॥ 

मै बहुड़ि न त्रिसना भुखड़ी हउ रजा त्रिपति अघाइ जीउ ॥ 

जो गुर दीसै सिखड़ा तिसु निवि निवि लागउ पाइ जीउ ॥३॥


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