हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महादेव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है।
महेश नवमी का पारंपरिक मान्यता
महेश नवमी माहेश्वरी समाज का सबसे बड़ा त्योहार है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार माहेश्वरी वंश की उत्पत्ति युधिष्ठिर संवत 9 की ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को हुई थी। यह इस समुदाय के लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है जहां सभी के बीच एकता और सम्मान बनाने के लिए कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और रैलियां आयोजित की जाती हैं। मुख्य उद्देश्य सेवा, त्याग और धार्मिकता का संदेश फैलाना है।
शुरुआत तिथि | ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी |
कारण | भगवान शिव |
उत्सव विधि | मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा |
महेश नवमी उत्सव तिथि
15 June 2024
पंचांग के अनुसार नवमी तिथि शनिवार, 15 जून 2024 को 12:03 AM से प्रारंभ होकर 16 जून को 02:32 AM पर समाप्त होगी। भक्त प्रातः काल और सांयकाल में देवों के देव महादेव की पूजा आराधना कर सकते हैं।
महेश नवमी पूजा विधि
❀ महेश नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में भगवान शिव का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें।
❀ शुद्ध गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें, आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद नवीन वस्त्र धारण करें।
❀ सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें, भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत से करें।
❀ शिव चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप अवश्य करें।
❀ अंत में आरती- आशीर्वाद कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें।
❀ शाम को आरती कर फलाहार करें।
❀ अगले दिन पूजा पूरी करने के बाद व्रत खोलें।
महेश नवमी का महत्व
महेश नवमी के दिन मंदिर एवं शिवालय में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बड़ी संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करने मंदिर में आते हैं। इस अवसर पर माहेश्वरी समाज द्वारा सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यकर्ताओं का आयोजन किया जाता है।

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