Ghee Sankranti उत्तराखंड राज्य अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। ऐसे पारंपरिक त्योहारों में घी संक्रांति प्रसिद्ध है। घी संक्रांति को क्षेत्रीय भाषा में घी त्यार, घ्यू त्यार, घु संक्रांति और ओल्गिया भी कहा जाता है। घी संक्रांति के दिन घी खाने का विशेष महत्व है। घी संक्रांति कब और कैसे मनाई जाती है:◉ घी संक्रांति पर्व भादो मास की…
Varalakshmi Pooja वरलक्ष्मी व्रत देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता का पर्व है। वरलक्ष्मी देवी वह है जो वर (वरदान) देती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत देवी पार्वती द्वारा समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए किया गया था। वरलक्ष्मी व्रत, श्रावण माह के अंतिम शुक्रवार के दिन रखा जाता है, सरल भाषा में समझे तो…
Simha Sankranti हिंदू पंचांग के अनुसार, संक्रांति (Sankranti) का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। भारत के कुछ हिस्सों में, प्रत्येक संक्रांति को एक महीने की शुरुआत के रूप में चिह्नित किया जाता है। दूसरी ओर, कुछ अन्य हिस्सों में, एक संक्रांति को प्रत्येक महीने के अंत के रूप में और अगले…
Putrada Ekadashi हिंदू पंचांग के अंतर्गत प्रत्येक माह की 11वीं तीथि को एकादशी कहा जाता है। एकादशी को भगवान विष्णु को समर्पित तिथि माना जाता है। एक महीने में दो पक्ष होने के कारण दो एकादशी होती हैं, एक शुक्ल पक्ष मे तथा दूसरी कृष्ण पक्ष मे। इस प्रकार वर्ष मे कम से कम 24 एकादशी हो…
Naag Sarpa Stotram ब्रह्म लोके च ये सर्पाः शेषनागाः पुरोगमाः ।नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥१॥ विष्णु लोके च ये सर्पाः वासुकि प्रमुखाश्चये ।नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥२॥ रुद्र लोके च ये सर्पाः तक्षकः प्रमुखास्तथा ।नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥३॥ खाण्डवस्य तथा दाहे स्वर्गन्च ये च समाश्रिताः…
Santan Gopal Stotra श्रीशं कमलपत्राक्षं देवकीनन्दनं हरिम् । सुतसम्प्राप्तये कृष्णं नमामि मधुसूदनम् ॥1॥ नमाम्यहं वासुदेवं सुतसम्प्राप्तये हरिम् ।यशोदांकगतं बालं गोपालं नन्दनन्दनम् ॥2॥ अस्माकं पुत्रलाभाय गोविन्दं मुनिवन्दितम् ।नमाम्यहं वासुदेवं देवकीनन्दनं सदा ॥3॥ गोपालं डिम्भकं वन्दे कमलापतिमच्युतम् ।पुत्रसम्प्राप्तये कृष्णं नमामि यदुपुंगवम् ॥4॥ पुत्रकामेष्टिफलदं कंजाक्षं कमलापतिम् ।देवकीनन्दनं वन्दे सुतसम्प्राप्तये मम ॥5॥ पद्मापते पद्मनेत्र पद्मनाभ जनार्दन ।देहि में तनयं…
Bhole Bhale Damaru Wale Bhajan भोले भाले डमरू वाले,नंदी के असवार,शरण तेरी आ गया,तेरी शरण में आ गया,तेरी शरण में आ गया,भोले भाले डमरू वालें,नंदी के असवार,शरण तेरी आ गया ॥ जटाजूट में गंग तेरे,गल सोहे मुंडन माला,डम डम डमरू बाज रहा,हाथ त्रिशूल लिए भाला,कैलाशी काशी के वासी,जग के पालन हार,शरण तेरी आ गया,भोले भाले…
Sheesh Gang Ardhang Parvati Bhajan शीश गंग अर्धंग पार्वती,सदा विराजत कैलासी ।नंदी भृंगी नृत्य करत हैं,धरत ध्यान सुर सुखरासी ॥ शीतल मन्द सुगन्ध पवन,बह बैठे हैं शिव अविनाशी ।करत गान-गन्धर्व सप्त स्वर,राग रागिनी मधुरासी ॥ यक्ष-रक्ष-भैरव जहँ डोलत,बोलत हैं वनके वासी ।कोयल शब्द सुनावत सुन्दर,भ्रमर करत हैं गुंजा-सी ॥ कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु,लाग रहे हैं…
Nag Panchami नाग पंचमी त्यौहार के दिन नागदेव की पूजा तथा दूध से स्नान कराया जाता है। नागदेव को अपने क्षेत्र के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है, कुछ जगहों पर इन्हें क्षेत्रपाल भी कहा गया है। जन्मकुन्डली में सर्प दोष के निवारण हेतु यह श्रेष्ठ दिन है। नाग पंचमी के दिन नागदेव के दर्शन…