परमात्मा शब्द नहीं जो तुम्हें पुस्तक में मिलेगा,
परमात्मा मूर्ति नहीं जो तुम्हें मंदिर में मिलेगी,
परमात्मा मनुष्य नहीं जो तुम्हें समाज में मिलेगा,
परमात्मा जीवन है जो तुम्हें अपने भीतर मिलेगा। 

  • रवि प्रदोष कथा (Ravi Pradosh Vrat Katha)
    रवि प्रदोष कथा (Ravi Pradosh Vrat Katha)

    Ravi Pradosh Vrat Katha एक ग्राम में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था। उसकी साध्वी स्त्री प्रदोष व्रत किया करती थी। उसे एक ही पुत्ररत्न था। एक समय की बात है, वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में चोरों ने उसे घेर लिया और वे कहने लगे कि हम तुम्हें मारेंगे…

  • दामोदर अष्टकम (Damodarastakam)

    नमामीश्वरं सच्-चिद्-आनन्द-रूपंलसत्-कुण्डलं गोकुले भ्राजमनम्यशोदा-भियोलूखलाद् धावमानंपरामृष्टम् अत्यन्ततो द्रुत्य गोप्या ॥ १॥ रुदन्तं मुहुर् नेत्र-युग्मं मृजन्तम्कराम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठस्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥ २॥ इतीदृक् स्व-लीलाभिर् आनन्द-कुण्डेस्व-घोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम्तदीयेषित-ज्ञेषु भक्तैर् जितत्वंपुनः प्रेमतस् तं शतावृत्ति वन्दे ॥ ३॥ वरं देव मोक्षं न मोक्षावधिं वान चन्यं वृणे ‘हं वरेषाद् अपीहइदं ते वपुर् नाथ गोपाल-बालंसदा मे मनस्य् आविरास्तां किम् अन्यैः ॥ ४॥…

  • नल-दमयंती कथा (Nal Damyanti Katha)
    नल-दमयंती कथा (Nal Damyanti Katha)

    Nal Damyanti Katha महाभारत महाकाव्य, में एक प्रसंग के अनुसार नल और दमयन्ती की कथा महाराज युधिष्ठिर को सुनाई गई थी। युधिष्ठिर को जुए में अपना सब-कुछ गँवा कर अपने भाइयों के साथ 12 वर्ष के वनवास तथा एक वर्ष के अग्यातवास पर जाना पड़ा। इस वनवास के समय धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह करने पर…

  • दशरथक शनि स्तोत्र (Dashrath Shani Stotra)
    दशरथक शनि स्तोत्र (Dashrath Shani Stotra)

    Dashrath Shani Stotra दशरथ उवाच:प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥ रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥ याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥ प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥ दशरथकृत शनि स्तोत्र:नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च…

  • सप्त चिरंजीवी – मंत्र  (Sapt Chiranjivi Mantr)
    सप्त चिरंजीवी – मंत्र (Sapt Chiranjivi Mantr)

    Sapt Chiranjivi Mantr अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः ।कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः ॥1सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम् ।जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित ॥2 [पद्म पुराण 51/6-7] अर्थात:अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सात महामानव चिरंजीवी हैं। यदि इन सात महामानवों और आठवे ऋषि मार्कण्डेय का नित्य स्मरण किया जाए तो शरीर के सारे रोग समाप्त हो…

  • श्री हनुमान अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Shri Hanuman Ashtottara-Shatnam Namavali)
    श्री हनुमान अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Shri Hanuman Ashtottara-Shatnam Namavali)

    Shri Hanuman Ashtottara-Shatnam Namavali ॐ आञ्जनेयाय नमः ।ॐ महावीराय नमः ।ॐ हनूमते नमः ।ॐ मारुतात्मजाय नमः ।ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः ।ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः ।ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमः ।ॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः ।ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः ।ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः । 10 ॐ परविद्या परिहाराय नमः ।ॐ परशौर्य विनाशनाय नमः ।ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः ।ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः ।ॐ सर्वग्रह विनाशिने नमः…

  • मूल मंत्र गुरबाणी(Mool mantra gurbani)
    मूल मंत्र गुरबाणी(Mool mantra gurbani)

    (मूल मंत्र)  ੴ सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥  (गुरु मंत्र)  … वाहिगुरू वाहिगुरू वाहिगुरू 

  • शबद (पातिसाही 10) Shabad-hazare-patshahi-10
    शबद (पातिसाही 10) Shabad-hazare-patshahi-10

    Shabad-hazare-patshahi-10 सबद ॥  ੴ सतिगुरप्रसादि ॥  रामकली पातसाही १० ॥  रे मन ऐसो कर संनिआसा ॥  बन से सदन सबै कर समझहु मन ही माहि उदासा ॥१॥ रहाउ ॥  जत की जटा जोग को मंजनु नेम के नखन बढाओ ॥  गिआन गुरू आतम उपदेसहु नाम बिभूत लगाओ ॥१॥  अलप अहार सुलप सी निंद्रा दया छिमा…

  • सोहिला साहिब (Sohila Sahib)
    सोहिला साहिब (Sohila Sahib)

    Sohila sahib सोहिला रागु गउड़ी दीपकी महला १  ੴ सतिगुर प्रसादि ॥  जै घरि कीरति आखीऐ करते का होइ बीचारो ॥  तितु घरि गावहु सोहिला सिवरिहु सिरजणहारो ॥१॥  तुम गावहु मेरे निरभउ का सोहिला ॥  हउ वारी जितु सोहिलै सदा सुखु होइ ॥१॥ रहाउ ॥  नित नित जीअड़े समालीअनि देखैगा देवणहारु ॥  तेरे दानै कीमति…