Author: जय सिया राम

  • नर्मदा अष्टकम (Narmada Ashtakam)

    नर्मदा अष्टकम (Narmada Ashtakam)

    Narmada Ashtakam ॥ श्री नर्मदा अष्टकम ॥सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितमद्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतमकृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदेत्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥1॥ त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकमकलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकंसुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदेत्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥2॥ महागभीर नीर पुर पापधुत…

  • माघ अष्टमी व्रत – Magh Ashtami Vrat

    माघ अष्टमी व्रत – Magh Ashtami Vrat

    Magh Ashtami Vrat हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन देवी दुर्गा के भक्त उनकी पूजा करते हैं और पूरे दिन उपवास रखते हैं। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है, कहा जाता है कि मां दुर्गा के सभी रूपों की…

  • वसंत पंचमी – Vasant Panchami

    वसंत पंचमी – Vasant Panchami

    Vasant Panchami वसंत पंचमी माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान और बुद्ध‌ि की देवी माँ सरस्वती जी के प्राकट्य दिवस के रूप मे जाना जाता है। अतः बसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर में पड़ने वाली छः ऋतुओं (बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर)…

  • षटतिला एकादशी – Shat Tila Ekadashi

    षटतिला एकादशी – Shat Tila Ekadashi

    Shat Tila Ekadashi हिंदू पंचांग के अंतर्गत प्रत्येक माह की 11वीं तीथि को एकादशी कहा जाता है। एकादशी को भगवान विष्णु को समर्पित तिथि माना जाता है। एक महीने में दो पक्ष होने के कारण दो एकादशी होती हैं, एक शुक्ल पक्ष मे तथा दूसरी कृष्ण पक्ष मे। इस प्रकार वर्ष मे कम से कम 24 एकादशी…

  • लक्ष्मीजी आरती (Laxmi Mata Aarti)

    लक्ष्मीजी आरती (Laxmi Mata Aarti)

    Laxmi Mata Aarti महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥ पद्मालये नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।सर्वभूत हितार्थाय,वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥ उमा, रमा, ब्रम्हाणी,तुम ही जग माता ।सूर्य चद्रंमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ दुर्गा रुप निरंजनि,सुख-संपत्ति दाता ।जो कोई…

  • बटुक भैरव चालीसा (Batuk Bhairav ​​Chalisa)

    बटुक भैरव चालीसा (Batuk Bhairav ​​Chalisa)

    Batuk Bhairav ​​Chalisa ॥ दोहा ॥विश्वनाथ को सुमिर मन,धर गणेश का ध्यान।भैरव चालीसा रचूं,कृपा करहु भगवान॥ बटुकनाथ भैरव भजू,श्री काली के लाल।छीतरमल पर कर कृपा,काशी के कुतवाल॥ ॥ चौपाई ॥जय जय श्रीकाली के लाला।रहो दास पर सदा दयाला॥भैरव भीषण भीम कपाली।क्रोधवन्त लोचन में लाली॥ कर त्रिशूल है कठिन कराला।गल में प्रभु मुण्डन की माला॥कृष्ण रूप…

  • भगवद गीता चालीसा (Bhagavad Geeta Chalisa)

    भगवद गीता चालीसा (Bhagavad Geeta Chalisa)

    Bhagavad Geeta Chalisa ॥ चौपाई ॥ प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ।हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ॥गीत सुनाऊँ अद्भुत यार।धारण से हो बेड़ा पार॥ अर्जुन कहै सुनो भगवाना।अपने रूप बताये नाना॥उनका मैं कछु भेद न जाना।किरपा कर फिर कहो सुजाना॥ जो कोई तुमको नित ध्यावे।भक्तिभाव से चित्त लगावे॥रात दिवस तुमरे गुण गावे।तुमसे दूजा मन नहीं भावे॥ तुमरा नाम जपे…

  • तमिल हनुमान जयंती – Tamil Hanuman Jayanti

    तमिल हनुमान जयंती – Tamil Hanuman Jayanti

    Tamil Hanuman Jayanti हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान हनुमान की बहुत प्रासंगिकता है और हनुमान जयंती पूरे देश में बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है। भक्तों का मानना ​​है कि भक्ति और समर्पण के साथ देवता की पूजा करने से उनके दुख और दर्द दूर हो जाते हैं और उनके स्थान पर…

  • श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् (Vindhyeshwari Stotram)

    श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् (Vindhyeshwari Stotram)

    Vindhyeshwari Stotram निशुम्भ शुम्भ गर्जनी,प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।बनेरणे प्रकाशिनी,भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ त्रिशूल मुण्ड धारिणी,धरा विघात हारिणी ।गृहे-गृहे निवासिनी,भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ दरिद्र दुःख हारिणी,सदा विभूति कारिणी ।वियोग शोक हारिणी,भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ लसत्सुलोल लोचनं,लतासनं वरप्रदं ।कपाल-शूल धारिणी,भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ कराब्जदानदाधरां,शिवाशिवां प्रदायिनी ।वरा-वराननां शुभां,भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ कपीन्द्न जामिनीप्रदां,त्रिधा स्वरूप धारिणी ।जले-थले निवासिनी,भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ विशिष्ट शिष्ट कारिणी,विशाल रूप…

  • कार्तिकेय आरती (Kartikeya Aarti)

    कार्तिकेय आरती (Kartikeya Aarti)

    Kartikeya Aarti जय जय आरती वेणु गोपालावेणु गोपाला वेणु लोलापाप विदुरा नवनीत चोरा जय जय आरती वेंकटरमणावेंकटरमणा संकटहरणासीता राम राधे श्याम जय जय आरती गौरी मनोहरगौरी मनोहर भवानी शंकरसदाशिव उमा महेश्वर जय जय आरती राज राजेश्वरिराज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि महा सरस्वती महा लक्ष्मीमहा काली महा लक्ष्मी जय जय आरती आन्जनेयआन्जनेय हनुमन्ता जय जय आरति दत्तात्रेयदत्तात्रेय त्रिमुर्ति…

  • मार्गशीर्ष चन्द्र दर्शन – Margashirsha Chandra Darshan

    मार्गशीर्ष चन्द्र दर्शन – Margashirsha Chandra Darshan

    Margashirsha Chandra Darshan चंद्र दर्शन अमावस्या के उपरांत चंद्र देव के पुनः आगमन एवं उनके दर्शन की परंपरा है। हिंदू धर्म में सूर्य दर्शन की ही तरह चंद्र दर्शन का भी अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इस दिन श्रद्धालु चंद्र देव की पूजा एवं विशेष प्रार्थना करते हैं। अमावस्या के तुरंत बाद चंद्रमा का दर्शन करना…

  • लाभ पंचमी – Labh Panchami

    लाभ पंचमी – Labh Panchami

    Labh Panchami कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भारत के गुजरात राज्य में, लाभ पंचमी सबसे अधिक महत्ता के साथ मनाया जाता है। लाभ पंचमी त्यौहार को सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी, लाखेनी पंचमी एवं सौभाग्य लाभ पंचम भी कहा जाता है लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयःयेषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः ॥हिन्दी भावार्थ: जिनके हृदयमें श्याम रंगके पद्म स्वरूपी जनार्दनका वास है, उन्हें सदैव यश…

  • मन में बसाकर तेरी मूर्ति (Mann Mai Basakar Teri Murti Aarti)

    मन में बसाकर तेरी मूर्ति (Mann Mai Basakar Teri Murti Aarti)

    Mann Mai Basakar Teri Murti Aarti मन में बसाकर तेरी मूर्ति,उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥मन में बसाकर तेरी मूर्ति,उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥ करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन,भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन,दर्द की दवा तुम्हरे…

  • कुशोत्पाटिनी अमावस्या – Kushotpatini Amavasya

    कुशोत्पाटिनी अमावस्या – Kushotpatini Amavasya

    Kushotpatini Amavasya भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन वर्ष भर के लिए पुरोहित नदी, पोखर, जलाशय आदि से कुशा घास एकत्रित कर घर में रखते हैं। कुशा घास का प्रयोग कर्मकांड कराने में किया जाता है। कुशोत्पाटिनी अमावस्या मुख्यत: पूर्वान्ह में मानी जाती है। कुशोत्पाटिनी अमावस्या को कुशाग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता…

  • पिठोरी अमावस्या – Pithori Amavasya

    पिठोरी अमावस्या – Pithori Amavasya

    Pithori Amavasya हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है और विशेष महत्व भी होता है। पिठोरी अमावस्या पर पितृ तर्पण आदि धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे कुश अमावस्या भी कहा…