Author: जय सिया राम

  • दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam)

    दत्तात्रेय स्तोत्रम् (Dattatreya Strotam)

    Dattatreya Strotam ॥ श्री दत्तात्रेय स्तोत्रम् ॥जटाधरं पाण्डुराङ्गं शूलहस्तं कृपानिधिम् ।सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥ विनियोग –अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारदऋषिः ।अनुष्टुप् छन्दः । श्रीदत्तपरमात्मा देवता ।श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥ स्तोत्रम् –जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे ।भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १॥ जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ २॥ कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ३॥ र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित ।पञ्चभूतैकदीप्ताय…

  • राग आसावरी बाणी (Raag Asavari Bani)

    राग आसावरी बाणी (Raag Asavari Bani)

    Raag Asavari Bani  रागु आसावरी घरु १६ के २ महला ४ सुधंग ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ हउ अनदिनु हरि नामु कीरतनु करउ ॥  सतिगुरि मो कउ हरि नामु बताइआ हउ हरि बिनु खिनु पलु रहि न सकउ ॥१॥ रहाउ ॥ हमरै स्रवणु सिमरनु हरि कीरतनु हउ हरि बिनु रहि न सकउ हउ इकु खिनु ॥ …

  • ऋण मोचक मङ्गल स्तोत्रम् (Rin Mochan Mangal Stotram)

    ऋण मोचक मङ्गल स्तोत्रम् (Rin Mochan Mangal Stotram)

    मंगल ग्रह को शक्ति, ऊर्जा, आत्मविश्वास और पराक्रम का स्वामी तथा नवग्रहों का सेनापति माना गया है। इनका प्रमुख रंग लाल तथा राशि मेष मानी गई है। श्री मङ्गलाय नमः ॥मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥ लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥2॥ अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥3॥ एतानि…

  • श्री राम नाम तारक (Shri Rama Nama Tarakam)

    श्री राम नाम तारक (Shri Rama Nama Tarakam)

    Shri Rama Nama Tarakam राम राम राम राम नाम तारकम्राम कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् राम राम राम राम नाम तारकम्राम कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् जानकी मनोहरम सर्वलोक नायकम्जानकी मनोहरम सर्वलोक नायकम्जानकी मनोहरम सर्वलोक नायकम् शङ्करादि सेव्यमान पुण्यनाम कीर्तनम्शङ्करादि सेव्यमान पुण्यनाम कीर्तनम् राम राम राम राम नाम तारकम्राम कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् वीरशूर…

  • नाम रामायणम (Nama Ramayanam)

    नाम रामायणम (Nama Ramayanam)

    Nama Ramayanam गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस, उत्तर भारत में अधिक प्रसिद्ध है। गोस्वामी तुलसीदासजी कृत संपूर्ण रामायण का पाठ करने में कुछ दिन का समय लग सकता है। और कई बार समय की कमी के कारण एक ही बैठक में संपूर्ण रामायण का पाठ करना संभव नहीं हो पाता है। नाम रामायणम संस्कृत में…

  • धनदालक्ष्मी स्तोत्रम् (Dhanadalakshmi Stotram)

    धनदालक्ष्मी स्तोत्रम् (Dhanadalakshmi Stotram)

    Dhanadalakshmi Stotram ॥ धनदालक्ष्मी स्तोत्रम् ॥ ॥ धनदा उवाच ॥ देवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्॥1॥ ॥ देव्युवाच ॥ ब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्।दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्॥2॥ ॥ शिव उवाच ॥ पूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह महेश्वरः।उचितं जगदम्बासि तव भूतानुकम्पया॥3॥ स सीतं सानुजं रामं सांजनेयं सहानुगम्।प्रणम्य परमानन्दं वक्ष्येऽहं स्तोत्रमुत्तमम्॥4॥ धनदं श्रद्धानानां सद्यः सुलभकारकम्।योगक्षेमकरं सत्यं सत्यमेव वचो…

  • बिल्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् (Bilva Ashtottara Shatnam Stotram)

    बिल्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् (Bilva Ashtottara Shatnam Stotram)

    Bilva Ashtottara Shatnam Stotra अथ बिल्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् ।त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ १॥ त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।तव पूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ २॥ सर्वत्रैलोक्यकर्तारं सर्वत्रैलोक्यपालनम् ।सर्वत्रैलोक्यहर्तारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ३॥ नागाधिराजवलयं नागहारेण भूषितम् ।नागकुण्डलसंयुक्तं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ४॥ अक्षमालाधरं रुद्रं पार्वतीप्रियवल्लभम् ।चन्द्रशेखरमीशानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ५॥ त्रिलोचनं दशभुजं…

  • वेदसारशिवस्तोत्रम् (Vedsara Shiv Stotram)

    वेदसारशिवस्तोत्रम् (Vedsara Shiv Stotram)

    Vedsara Shiv Stotram पशूनां पतिं पापनाशं परेशं,गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम् ।जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं,महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम् ॥ महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं,विभुं विश्र्वनाथम् विभूत्यङ्गभूषम् ।विरुपाक्षमिन्द्वर्कवह्निनेत्रं,सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम् ॥ गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं,गवेन्द्राधिरूढम् गुणातीतरूपम् ।भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गम्,भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम् ॥ शिवाकान्त शम्भो शशाङ्कार्धमौले,महेशान शूलिन् जटाजूटधारिन् ।त्वमेको जगद्व्यापको विश्र्वरूप:,प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूपम् ॥ परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं,निरीहं निराकारं ओम्कारवेद्यम् ।यतो जायते पाल्यते…

  • वट पूर्णिमा – Vat Purnima

    वट पूर्णिमा – Vat Purnima

    Vat Purnima सुहागन महिलाएं अपने सास-ससुर एवं पति की लम्बी उम्र के लिए वट पूर्णिमा व्रत को रखतीं हैं। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारतीय राज्यों में महिलाएं इसे ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को मानतीं हैं। जबकि उत्तर भारत जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा राज्य में वट पूर्णिमा 15 दिन पहिले ही…

  • सत्यनारायण व्रत – Satyanarayan Vrat

    सत्यनारायण व्रत – Satyanarayan Vrat

    Satyanarayan Vrat सत्यनारायण पूजा और व्रत की पौराणिक कथापौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से कहा कि हे भगवान, पृथ्वी पर सभी लोग बहुत दुखी नजर आ रहे हैं, इसका कोई उपाय नहीं है। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि सत्यनारायण का व्रत करने से सबके कष्ट दूर हो…

  • माँ धूमावती उत्पत्ति कथा (Dhumavati Utpatti Katha)

    माँ धूमावती उत्पत्ति कथा (Dhumavati Utpatti Katha)

    Dhumavati Utpatti Katha माँ धूमावती दस महाविद्या में से सातवीं देवी हैं। माता का यह रूप पुराने एवं मलिन वस्त्र धारण किये एक वृद्ध विधवा का है, उनके केश पूर्णतः अव्यवस्थित हैं।सभी महाविद्याओं के ही समान यह कोई आभूषण धारण नहीं करती हैं। देवी का यह रूप अशुभ एवं अनाकर्षक है। माँ धूमावती सदा ही…

  • वेंकटाचल निलयं (Venkatachala Nilayam)

    वेंकटाचल निलयं (Venkatachala Nilayam)

    Venkatachala Nilayam वेंकटाचल* निलयं वैकुण्ठ पुरवासंपङ्कज नेत्रं परम पवित्रंशङ्क चक्रधर चिन्मय रूपं वेंकटाचल निलयं वैकुण्ठ पुरवासंपङ्कज नेत्रं परम पवित्रंशङ्क चक्रधर चिन्मय रूपं अम्बुजोद्भव विनुतं अगणित गुण नामंतुम्बुरु नारद गानविलोलं वेंकटाचल निलयं वैकुण्ठ पुरवासंपङ्कज नेत्रं परम पवित्रंशङ्क चक्रधर चिन्मय रूपं मकर कुण्डलधर मदनगोपलंभक्त पोषक श्री पुरन्दर विठलं वेंकटाचल निलयं वैकुण्ठ पुरवासंपङ्कज नेत्रं परम पवित्रंशङ्क चक्रधर चिन्मय…

  • गणेश अंग पूजा मंत्र (Ganesha Anga Puja Mantra)

    गणेश अंग पूजा मंत्र (Ganesha Anga Puja Mantra)

    Ganesha Anga Puja Mantra सनातन पूजा पद्धति में अंग पूजा किसी भी देव पूजा अनुष्ठान का अभिन्न अंग है। श्री गणेश पूजा के दौरान, भक्त भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का प्रयोग अंग पूजा के लिए करते हैं। इसके अंतर्गत अंग पूजा में भगवान श्री गणेश के शरीर के प्रत्येक महत्वपूर्ण…

  • श्री विज्ञ राजं भजे – गणेश मंत्र (Sri Vighnarajam Bhaje)

    श्री विज्ञ राजं भजे – गणेश मंत्र (Sri Vighnarajam Bhaje)

    Sri Vighnarajam Bhaje पल्लविश्री विज्ञ राजं भजे – भजेहम् भजेहम्भजेहम् भजे – तमिह अनुपल्लविसन्ततमहम् कुन्जरमुहम्शन्करसुतम् – तमिहसन्ततमहम् दन्ति सुन्दर मुखम्अन्तकान्तक सुतम् – सिवशन्करि सुतम् – तमिह चरणम् 1सेवित सुरेन्द्र महनीय गुणशीलम्जपत समादि सुख वरद – अनुकूलम्भावित सुरमणि गन भक्त परिपालम्भयन्कर विशन्ग मातन्ग कुलकालम् चरणम् 2कनक केयूर हारावलि कलितगम्भीर गौरगिरि शोभम् सुशोभम्कामादि भय भरित मूड मदकलिकलुश…

  • पाण्डव निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha)

    पाण्डव निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha)

    Nirjala Ekadashi Vrat Katha निर्जला एकादशी का महत्त्व:एकादशी व्रत हिन्दुओ में सबसे अधिक प्रचलित व्रत माना जाता है। वर्ष में चौबीस एकादशियाँ आती हैं, किन्तु इन सब एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली समझी जाती है क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त…