Author: जय सिया राम

  • बलराम जयन्ती – Balarama Jayanti

    बलराम जयन्ती – Balarama Jayanti

    Balarama Jayanti पारंपरिक हिंदू पंचांग में हल षष्ठी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम को समर्पित है। भगवान बलराम माता देवकी और वासुदेव जी के सातवें संतान थे। हल षष्ठी का त्योहार भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है। रक्षा बंधन और श्रवण पूर्णिमा के छह दिनों के बाद…

  • श्री नारायण गुरु जयंती – Sree Narayana Guru Jayanti

    श्री नारायण गुरु जयंती – Sree Narayana Guru Jayanti

    Sree Narayana Guru Jayanti श्री नारायण गुरु जयंती केरल राज्य में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक अवकाश है। यह नारायण गुरु के जन्मदिन का उत्सव है, जो एक समाज सुधारक और संत थे। जहां उन्होंने आध्यात्मिक उत्थान के लिए ध्यान-साधना में खुद को लीन कर लिया, वहीं उन्होंने केरल में उन लोगों के सशक्तिकरण के लिए भी…

  • संस्कृत दिवस – Sanskrit Diwas

    संस्कृत दिवस – Sanskrit Diwas

    Sanskrit Diwas भारत में हर साल श्रावणी पूर्णिमा के शुभ अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारी संस्कृति में संस्कृत भाषा के प्राचीनतम भाषा होने की वजह से यह दिन मनाया जाता है। संस्कृत लगभग सभी वेदों और पुराणों की भाषा है। इसलिए लोगों में संस्कृत भाषा के प्रति सम्मान है। हमारे…

  • हयग्रीव जयंती – Hayagriva Jayanti

    हयग्रीव जयंती – Hayagriva Jayanti

    Hayagriva Jayanti भगवान हयग्रीव की जयंती जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान हयग्रीव को ज्ञान और बुद्धि का देवता माना जाता है हयग्रीव जयंती पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हयग्रीव ने सभी वेदों को ब्रह्मा को पुनर्स्थापित कर दिया…

  • Ram Na Milenge Hanuman Ke Bina (राम न मिलेंगे हनुमान के बिना)

    Ram Na Milenge Hanuman Ke Bina (राम न मिलेंगे हनुमान के बिना)

    Ram Na Milenge Hanuman Ke Bina ओए, पार ना लगोगे श्री राम के बिनाराम ना मिलेंगे हनुमान के बिना(पार ना लगोगे श्री राम के बिना)(राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना) सुन लो, पार ना लगोगे श्री राम के बिनाराम ना मिलेंगे हनुमान के बिना(पार ना लगोगे श्री राम के बिना)(राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना)…

  • महाकाल गंगाधर मेरे भजन (Mahakal Gangadhar Mere bhajan)

    महाकाल गंगाधर मेरे भजन (Mahakal Gangadhar Mere bhajan)

    Mahakal Gangadhar Mere bhajan अब कोई ना सहारा बिन तेरे,महाकाल गंगाधर मेरे ॥ तूने लाखों पापी तारे है,नहीं गुण और दोष विचारे है,मैं भी आन पड़ा दर तेरे,मैं भी आन पड़ा दर तेरे,महाकाल गंगाधर मेरे,अब कोईं न सहारा बिन तेरे,महाकाल गंगाधर मेरे ॥ विषयो के जाल में फसकर के,झूठी उल्फत में धंसकर के,दुःख पाए नाथ…

  • नारली पूर्णिमा – Coconut Day

    नारली पूर्णिमा – Coconut Day

    Coconut Day नारली शब्द का अर्थ है नारियल और पूर्णिमा का अर्थ है पूर्णिमा का दिन। इस दिन नारियल का विशेष महत्व है। नारली पूर्णिमा का त्योहार अन्य त्योहारों जैसे श्रवणी पूर्णिमा, रक्षा बंधन और कजरी पूर्णिमा के साथ मेल खाता है। हालांकि परंपराएं और संस्कृतियां भिन्न हो सकती हैं, त्योहारों का महत्व वही रहता है। उत्तर भारत में राखी का त्योहार रक्षा बंधन के दिन…

  • स्वतंत्रता दिवस – Independence Day

    स्वतंत्रता दिवस – Independence Day

    Independence Day भारत का स्वतंत्रता दिवस, हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस भारत में 190 साल लंबे ब्रिटिश शासन के अंत का प्रतीक है। 1947, 15 अगस्त के दिन भारत को स्वतंत्र देश घोषित किया गया था। 2024 में भारत स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 78 वर्ष पूरे कर लेगा। स्वतंत्रता…

  • घी संक्रांति – Ghee Sankranti

    घी संक्रांति – Ghee Sankranti

    Ghee Sankranti उत्तराखंड राज्य अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। ऐसे पारंपरिक त्योहारों में घी संक्रांति प्रसिद्ध है। घी संक्रांति को क्षेत्रीय भाषा में घी त्यार, घ्यू त्यार, घु संक्रांति और ओल्गिया भी कहा जाता है। घी संक्रांति के दिन घी खाने का विशेष महत्व है। घी संक्रांति कब और कैसे मनाई जाती है:◉ घी संक्रांति पर्व भादो मास की…

  • वरलक्ष्मी पूजा – Varalakshmi Pooja

    वरलक्ष्मी पूजा – Varalakshmi Pooja

    Varalakshmi Pooja वरलक्ष्मी व्रत देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता का पर्व है। वरलक्ष्मी देवी वह है जो वर (वरदान) देती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत देवी पार्वती द्वारा समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए किया गया था। वरलक्ष्मी व्रत, श्रावण माह के अंतिम शुक्रवार के दिन रखा जाता है, सरल भाषा में समझे तो…

  • सिंह संक्रांति – Simha Sankranti

    सिंह संक्रांति – Simha Sankranti

    Simha Sankranti हिंदू पंचांग के अनुसार, संक्रांति (Sankranti) का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। भारत के कुछ हिस्सों में, प्रत्येक संक्रांति को एक महीने की शुरुआत के रूप में चिह्नित किया जाता है। दूसरी ओर, कुछ अन्य हिस्सों में, एक संक्रांति को प्रत्येक महीने के अंत के रूप में और अगले…

  • पुत्रदा एकादशी – Putrada Ekadashi

    पुत्रदा एकादशी – Putrada Ekadashi

    Putrada Ekadashi हिंदू पंचांग के अंतर्गत प्रत्येक माह की 11वीं तीथि को एकादशी कहा जाता है। एकादशी को भगवान विष्णु को समर्पित तिथि माना जाता है। एक महीने में दो पक्ष होने के कारण दो एकादशी होती हैं, एक शुक्ल पक्ष मे तथा दूसरी कृष्ण पक्ष मे। इस प्रकार वर्ष मे कम से कम 24 एकादशी हो…

  • नाग स्तोत्रम् (Naag Sarpa Stotram)

    नाग स्तोत्रम् (Naag Sarpa Stotram)

    Naag Sarpa Stotram ब्रह्म लोके च ये सर्पाः शेषनागाः पुरोगमाः ।नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥१॥ विष्णु लोके च ये सर्पाः वासुकि प्रमुखाश्चये ।नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥२॥ रुद्र लोके च ये सर्पाः तक्षकः प्रमुखास्तथा ।नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा ॥३॥ खाण्डवस्य तथा दाहे स्वर्गन्च ये च समाश्रिताः…

  • संतान गोपाल स्तोत्रम् (Santan Gopal Stotra)

    संतान गोपाल स्तोत्रम् (Santan Gopal Stotra)

    Santan Gopal Stotra श्रीशं कमलपत्राक्षं देवकीनन्दनं हरिम् । सुतसम्प्राप्तये कृष्णं नमामि मधुसूदनम् ॥1॥ नमाम्यहं वासुदेवं सुतसम्प्राप्तये हरिम् ।यशोदांकगतं बालं गोपालं नन्दनन्दनम् ॥2॥ अस्माकं पुत्रलाभाय गोविन्दं मुनिवन्दितम् ।नमाम्यहं वासुदेवं देवकीनन्दनं सदा ॥3॥ गोपालं डिम्भकं वन्दे कमलापतिमच्युतम् ।पुत्रसम्प्राप्तये कृष्णं नमामि यदुपुंगवम् ॥4॥ पुत्रकामेष्टिफलदं कंजाक्षं कमलापतिम् ।देवकीनन्दनं वन्दे सुतसम्प्राप्तये मम ॥5॥ पद्मापते पद्मनेत्र पद्मनाभ जनार्दन ।देहि में तनयं…

  • भोले भाले डमरू वाले भजन (Bhole Bhale Damaru Wale Bhajan)

    भोले भाले डमरू वाले भजन (Bhole Bhale Damaru Wale Bhajan)

    Bhole Bhale Damaru Wale Bhajan भोले भाले डमरू वाले,नंदी के असवार,शरण तेरी आ गया,तेरी शरण में आ गया,तेरी शरण में आ गया,भोले भाले डमरू वालें,नंदी के असवार,शरण तेरी आ गया ॥ जटाजूट में गंग तेरे,गल सोहे मुंडन माला,डम डम डमरू बाज रहा,हाथ त्रिशूल लिए भाला,कैलाशी काशी के वासी,जग के पालन हार,शरण तेरी आ गया,भोले भाले…