Category: नितनेम ग़ुरबानी

  • राग आसावरी बाणी (Raag Asavari Bani)

    राग आसावरी बाणी (Raag Asavari Bani)

    Raag Asavari Bani  रागु आसावरी घरु १६ के २ महला ४ सुधंग ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ हउ अनदिनु हरि नामु कीरतनु करउ ॥  सतिगुरि मो कउ हरि नामु बताइआ हउ हरि बिनु खिनु पलु रहि न सकउ ॥१॥ रहाउ ॥ हमरै स्रवणु सिमरनु हरि कीरतनु हउ हरि बिनु रहि न सकउ हउ इकु खिनु ॥ …

  • सिध गोसटि महला 1(Siddh Gosht)

    सिध गोसटि महला 1(Siddh Gosht)

    Siddh Gosht रामकली महला १ सिध गोसटि ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ सिध सभा करि आसणि बैठे संत सभा जैकारो ॥  तिसु आगै रहरासि हमारी साचा अपर अपारो ॥  मसतकु काटि धरी तिसु आगै तनु मनु आगै देउ ॥  नानक संतु मिलै सचु पाईऐ सहज भाइ जसु लेउ ॥१॥ किआ भवीऐ सचि सूचा होइ ॥  साच…

  • सो दरु सो पुरखु (Sodar Sopurakh)

    सो दरु सो पुरखु (Sodar Sopurakh)

    सो दरु रागु आसा महला १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ सो दरु तेरा केहा सो घरु केहा जितु बहि सरब समाले ॥  वाजे तेरे नाद अनेक असंखा केते तेरे वावणहारे ॥  केते तेरे राग परी सिउ कहीअहि केते तेरे गावणहारे ॥  गावनि तुधनो पवणु पाणी बैसंतरु गावै राजा धरमु दुआरे ॥  गावनि तुधनो चितु गुपतु…

  • ओअंकारु महला 1(Onkar Dakhni)

    ओअंकारु महला 1(Onkar Dakhni)

    रामकली महला १ दखणी ओअंकारु ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ ओअंकारि ब्रहमा उतपति ॥  ओअंकारु कीआ जिनि चिति ॥  ओअंकारि सैल जुग भए ॥  ओअंकारि बेद निरमए ॥  ओअंकारि सबदि उधरे ॥  ओअंकारि गुरमुखि तरे ॥  ओनम अखर सुणहु बीचारु ॥  ओनम अखरु त्रिभवण सारु ॥१॥ सुणि पाडे किआ लिखहु जंजाला ॥  लिखु राम नाम गुरमुखि…

  • Shabad Hazare (शब्द हज़ारे)

    Shabad Hazare (शब्द हज़ारे)

    Shabad Hazare माझ महला ५ चउपदे घरु १ ॥ मेरा मनु लोचै गुर दरसन ताई ॥  बिलप करे चात्रिक की निआई ॥  त्रिखा न उतरै सांति न आवै बिनु दरसन संत पिआरे जीउ ॥१॥ हउ घोली जीउ घोलि घुमाई गुर दरसन संत पिआरे जीउ ॥१॥ रहाउ ॥ तेरा मुखु सुहावा जीउ सहज धुनि बाणी ॥ …

  • लावां आनंद कारज (Laavan Anand Karaj)
  • आरती गुरबाणी(Aarti Gurbani)

    आरती गुरबाणी(Aarti Gurbani)

    Aarti Gurbani धनासरी महला १ आरती ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ गगन मै थालु रवि चंदु दीपक बने तारिका मंडल जनक मोती ॥  धूपु मलआनलो पवणु चवरो करे सगल बनराइ फूलंत जोती ॥१॥ कैसी आरती होइ भव खंडना तेरी आरती ॥  अनहता सबद वाजंत भेरी ॥१॥ रहाउ ॥ सहस तव नैन नन नैन है तोहि कउ…

  • रहरासी साहिब(Rehraas sahib)

    रहरासी साहिब(Rehraas sahib)

     Rehraas Sahib सलोकु मः १ ॥ दुखु दारू सुखु रोगु भइआ जा सुखु तामि न होई ॥  तूं करता करणा मै नाही जा हउ करी न होई ॥१॥ बलिहारी कुदरति वसिआ ॥  तेरा अंतु न जाई लखिआ ॥१॥ रहाउ ॥ जाति महि जोति जोति महि जाता अकल कला भरपूरि रहिआ ॥  तूं सचा साहिबु सिफति…

  • आनंद साहिब (Anand Sahib)

    आनंद साहिब (Anand Sahib)

    Anand Sahib रामकली महला ३ अनंदु ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ अनंदु भइआ मेरी माए सतिगुरू मै पाइआ ॥  सतिगुरु त पाइआ सहज सेती मनि वजीआ वाधाईआ ॥  राग रतन परवार परीआ सबद गावण आईआ ॥  सबदो त गावहु हरी केरा मनि जिनी वसाइआ ॥  कहै नानकु अनंदु होआ सतिगुरू मै पाइआ ॥१॥ ए मन मेरिआ…

  • चौपयी साहिब(Chaupai Sahib)

    चौपयी साहिब(Chaupai Sahib)

    Chaupai Sahib, ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ पातिसाही १० ॥ कबियो बाच बेनती ॥ चौपई ॥ हमरी करो हाथ दै रच्छा ॥  पूरन होइ चित की इच्छा ॥  तव चरनन मन रहै हमारा ॥  अपना जान करो प्रतिपारा ॥३७७॥ हमरे दुसट सभै तुम घावहु ॥  आपु हाथ दै मोहि बचावहु ॥  सुखी बसै मोरो परिवारा ॥ …

  • मूल मंत्र गुरबाणी(Mool mantra gurbani)

    मूल मंत्र गुरबाणी(Mool mantra gurbani)

    (मूल मंत्र)  ੴ सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुरप्रसादि ॥  (गुरु मंत्र)  … वाहिगुरू वाहिगुरू वाहिगुरू 

  • शबद (पातिसाही 10) Shabad-hazare-patshahi-10

    शबद (पातिसाही 10) Shabad-hazare-patshahi-10

    Shabad-hazare-patshahi-10 सबद ॥  ੴ सतिगुरप्रसादि ॥  रामकली पातसाही १० ॥  रे मन ऐसो कर संनिआसा ॥  बन से सदन सबै कर समझहु मन ही माहि उदासा ॥१॥ रहाउ ॥  जत की जटा जोग को मंजनु नेम के नखन बढाओ ॥  गिआन गुरू आतम उपदेसहु नाम बिभूत लगाओ ॥१॥  अलप अहार सुलप सी निंद्रा दया छिमा…

  • सोहिला साहिब (Sohila Sahib)

    सोहिला साहिब (Sohila Sahib)

    Sohila sahib सोहिला रागु गउड़ी दीपकी महला १  ੴ सतिगुर प्रसादि ॥  जै घरि कीरति आखीऐ करते का होइ बीचारो ॥  तितु घरि गावहु सोहिला सिवरिहु सिरजणहारो ॥१॥  तुम गावहु मेरे निरभउ का सोहिला ॥  हउ वारी जितु सोहिलै सदा सुखु होइ ॥१॥ रहाउ ॥  नित नित जीअड़े समालीअनि देखैगा देवणहारु ॥  तेरे दानै कीमति…

  • जापु साहिब (Jaap Sahib)

    जापु साहिब (Jaap Sahib)

    Jaap Sahib ੴ सतिगुर प्रसादि ॥  जापु ॥  स्री मुखवाक पातिसाही १० ॥  छपै छंद ॥ त्व प्रसादि ॥  चक्क्र चिहन अरु बरन जाति अरु पाति नहिन जिह ॥  रूप रंग अरु रेख भेख कोऊ कहि न सकति किह ॥  अचल मूरति अनभउ प्रकास अमितोजि कहिज्जै ॥  कोटि इंद्र इंद्राण साहु साहाणि गणिजै ॥  तृभवण…