Category: Blog
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कर्क संक्रांति – Karka Sankranti
Karka Sankranti हिंदू पंचांग के अनुसार, संक्रांति (Sankranti) का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। भारत के कुछ हिस्सों में, प्रत्येक संक्रांति को एक महीने की शुरुआत के रूप में चिह्नित किया जाता है। दूसरी ओर, कुछ अन्य हिस्सों में, एक संक्रांति को प्रत्येक महीने के अंत के रूप में और अगले…
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अष्टमी व्रत – Ashtami Vrat
Ashtami Vrat हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन देवी दुर्गा के भक्त उनकी पूजा करते हैं और पूरे दिन उपवास रखते हैं। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है, कहा जाता है कि मां दुर्गा के सभी रूपों की व्यवस्थित…
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भड़रिया नवमी – Bhadariya Navami
Bhadariya Navami हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने के लिए मांगलिक एवं शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चातुर्मास के लिए गहरी योग निंद्रा मे चले जाते हैं। तत्पश्चात भगवान विष्णु सीधा देवउठनी एकादशी पर चातुर्मास समाप्ति के साथ योग निंद्रा से जाग्रत…
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विपदतारिणी पूजा – Bipadtarini Puja
Bipadtarini Puja विपदतारिणी पूजा देवी शक्ति को समर्पित एक शुभ उपासना है जो देवी काली की भी अभिव्यक्ति करता है। विपद तारिणी पूजा, रथ यात्रा के बाद और बहुदा रथ के यात्रा से पहले हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की मंगलबार और शनिबार के दिन मनाया जाता है। यह पूजा मुख्यतः बंगाल, ओडिशा, असम…
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कथा: हनुमान गाथा (Katha Hanuman Gatha)
Katha Hanuman Gatha हम आज पवनसुत हनुमान की कथा सुनाते हैं,पावन कथा सुनाते हैं ।वीरों के वीर उस महावीर की गाथा गाते हैं,हम कथा सुनाते हैं ।जो रोम-रोम में सिया राम की छवि बासाते हैं,पावन कथा सुनाते हैं ।वीरों के वीर उस महावीर की गाथा गाते हैं,हम कथा सुनाते हैं । पुंजिकस्थला नाम था जिसका,स्वर्ग…
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कालयवन वध कथा (Kalyavan Vadh Katha)
Kalyavan Vadh Katha यह जन्म से ब्राह्मण लेकिन कर्म से असुर था और अरब के पास यवन देश में रहता था। पुराणों में इसे म्लेच्छों का प्रमुख कहा गया है। कालयवन वध की कथा का वर्णन विष्णु पुराण के पंचम अंश के तेईसवें अध्याय मे किया गया है। कालयवन ऋषि शेशिरायण का पुत्र था। गर्ग गोत्र के…
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आषाढ़ अमावस्या – Ashada Amavasya
Ashada Amavasya अमावस्या एक वर्ष मे 12 बार आने वाला मासिक उत्सव है, अधिक मास की स्थिति मे यह एक वर्ष मे 13 बार भी हो सकती है हिन्दू पंचांग के अनुसार अमावस्या माह की और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है, इस दिन का भारतीय जनजीवन में अत्यधिक महत्व हैं। हर माह की अमावस्या…
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ऋण मोचक मङ्गल स्तोत्रम् (Rin Mochan Mangal Stotram)
मंगल ग्रह को शक्ति, ऊर्जा, आत्मविश्वास और पराक्रम का स्वामी तथा नवग्रहों का सेनापति माना गया है। इनका प्रमुख रंग लाल तथा राशि मेष मानी गई है। श्री मङ्गलाय नमः ॥मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥ लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥2॥ अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥3॥ एतानि…
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नाम रामायणम (Nama Ramayanam)
Nama Ramayanam गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस, उत्तर भारत में अधिक प्रसिद्ध है। गोस्वामी तुलसीदासजी कृत संपूर्ण रामायण का पाठ करने में कुछ दिन का समय लग सकता है। और कई बार समय की कमी के कारण एक ही बैठक में संपूर्ण रामायण का पाठ करना संभव नहीं हो पाता है। नाम रामायणम संस्कृत में…
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धनदालक्ष्मी स्तोत्रम् (Dhanadalakshmi Stotram)
Dhanadalakshmi Stotram ॥ धनदालक्ष्मी स्तोत्रम् ॥ ॥ धनदा उवाच ॥ देवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्॥1॥ ॥ देव्युवाच ॥ ब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्।दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्॥2॥ ॥ शिव उवाच ॥ पूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह महेश्वरः।उचितं जगदम्बासि तव भूतानुकम्पया॥3॥ स सीतं सानुजं रामं सांजनेयं सहानुगम्।प्रणम्य परमानन्दं वक्ष्येऽहं स्तोत्रमुत्तमम्॥4॥ धनदं श्रद्धानानां सद्यः सुलभकारकम्।योगक्षेमकरं सत्यं सत्यमेव वचो…
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बिल्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् (Bilva Ashtottara Shatnam Stotram)
Bilva Ashtottara Shatnam Stotra अथ बिल्वाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् ।त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ १॥ त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।तव पूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ २॥ सर्वत्रैलोक्यकर्तारं सर्वत्रैलोक्यपालनम् ।सर्वत्रैलोक्यहर्तारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ३॥ नागाधिराजवलयं नागहारेण भूषितम् ।नागकुण्डलसंयुक्तं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ४॥ अक्षमालाधरं रुद्रं पार्वतीप्रियवल्लभम् ।चन्द्रशेखरमीशानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ५॥ त्रिलोचनं दशभुजं…
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माँ धूमावती उत्पत्ति कथा (Dhumavati Utpatti Katha)
Dhumavati Utpatti Katha माँ धूमावती दस महाविद्या में से सातवीं देवी हैं। माता का यह रूप पुराने एवं मलिन वस्त्र धारण किये एक वृद्ध विधवा का है, उनके केश पूर्णतः अव्यवस्थित हैं।सभी महाविद्याओं के ही समान यह कोई आभूषण धारण नहीं करती हैं। देवी का यह रूप अशुभ एवं अनाकर्षक है। माँ धूमावती सदा ही…
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वेंकटाचल निलयं (Venkatachala Nilayam)
Venkatachala Nilayam वेंकटाचल* निलयं वैकुण्ठ पुरवासंपङ्कज नेत्रं परम पवित्रंशङ्क चक्रधर चिन्मय रूपं वेंकटाचल निलयं वैकुण्ठ पुरवासंपङ्कज नेत्रं परम पवित्रंशङ्क चक्रधर चिन्मय रूपं अम्बुजोद्भव विनुतं अगणित गुण नामंतुम्बुरु नारद गानविलोलं वेंकटाचल निलयं वैकुण्ठ पुरवासंपङ्कज नेत्रं परम पवित्रंशङ्क चक्रधर चिन्मय रूपं मकर कुण्डलधर मदनगोपलंभक्त पोषक श्री पुरन्दर विठलं वेंकटाचल निलयं वैकुण्ठ पुरवासंपङ्कज नेत्रं परम पवित्रंशङ्क चक्रधर चिन्मय…
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आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Ashadha Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)
Ashadha Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha पार्वती जी ने पूछा कि हे पुत्र ! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को गणेश की पूजा कैसे करनी चाहिए? आषाढ़ मास के गणपति देवता का क्या नाम है? उनके पूजन आदि का क्या विधान है, सो आप मुझसे कहिए? गणेश जी ने कहा आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के दिन कृष्णपिङ्गल नामक गणेश की पूजा करनी…
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राग माला (Raag Mala)
Raag Mala ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ राग माला ॥ राग एक संगि पंच बरंगन ॥ संगि अलापहि आठउ नंदन ॥ प्रथम राग भैरउ वै करही ॥ पंच रागनी संगि उचरही ॥ प्रथम भैरवी बिलावली ॥ पुंनिआकी गावहि बंगली ॥ पुनि असलेखी की भई बारी ॥ ए भैरउ की पाचउ नारी ॥ पंचम हरख दिसाख सुनावहि…