Kokila Vrat

कोकिला व्रत – Kokila Vrat

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Kokila Vrat

कोकिला व्रत आषाढ़ पूर्णिमा के दिन किया जाता है पर इसका आरंभ एक दिन पहले से ही आरंभ कर दिया जाता है। कोकिला व्रत का विशेष महत्व दांपत्यु सुख एवं अविवाहितों के लिए जल्द विवाह करने मे वरदान है।

आषाढ़ के अधिक मास होने पर यह व्रत प्रथम आषाढ़ की पूर्णिमा से दूसरे आषाढ़ की पूर्णिमा तक किया जाता है। व्रत के दौरान गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में किया स्नान अधिक पुण्यदाय होता है।

Kokila Vrat

कोकिला व्रत में भोजन एक बार ही ग्रहण करें, धरती पर शयन करें, ब्रम्हचर्य का पालन करें तथा पराई निंदा से बचें। कुछ मान्यताओं के अनुसार, व्रत के दिन महिलाएँ जड़ी-बूटियों से स्नान करतीं हैं, अतः व्रत एवं औषधि के प्रभाव से महिलाएँ को सौन्दर्य और रुप की प्राप्ति होती है।

मुख्यतया पर गुरु पूर्णिमा एवं कोकिला व्रत एक ही दिन होती है, परन्तु कभी-कभी चतुर्दशी तिथि के प्रारंभ होने के आधार पर कोकिला व्रत, गुरु पूर्णिमा से एक दिन पूर्व भी हो सकता है।

कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से सौन्दर्य और रुप की प्राप्ति होती है। इस दिन जड़ी-बूटियों से स्नान करना उत्तम होता है। कुछ स्थानों पर कोयल का चित्र अथवा मूर्ति स्वरुप को मंदिर अथवा ब्राह्मण को भेंट भी किया जाता है।


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