परमात्मा शब्द नहीं जो तुम्हें पुस्तक में मिलेगा,
परमात्मा मूर्ति नहीं जो तुम्हें मंदिर में मिलेगी,
परमात्मा मनुष्य नहीं जो तुम्हें समाज में मिलेगा,
परमात्मा जीवन है जो तुम्हें अपने भीतर मिलेगा। 

  • मेरे भोले की फ़ौज भजन – Mere Bhole Ki Fauj Bhajan
    मेरे भोले की फ़ौज भजन – Mere Bhole Ki Fauj Bhajan

    Mere Bhole Ki Fauj Bhajan बम बम बम भोले बम बम बम,इस सावन करेगी मौज,मेरे भोले की फ़ौज महादेव भोले भंडारी पूजे तुम को दुनिया सारी,शिव शंकर त्रिपुरारी जटा जुट गंगा धारी,काल काल महाकाल कहाये जय श्री महाकाल हम गाये.तेरी भक्ति में खो जाए और न हम को कुछ भी भाये,निकली कावड़ियों की टोली और…

  • श्री परशुराम आरती (Shri Parshuram Aarti)

    ॐ जय परशुधारी,स्वामी जय परशुधारी ।सुर नर मुनिजन सेवत,श्रीपति अवतारी ॥ॐ जय परशुधारी..॥ जमदग्नी सुत नर-सिंह,मां रेणुका जाया ।मार्तण्ड भृगु वंशज,त्रिभुवन यश छाया ॥ॐ जय परशुधारी..॥ कांधे सूत्र जनेऊ,गल रुद्राक्ष माला ।चरण खड़ाऊँ शोभे,तिलक त्रिपुण्ड भाला ॥ॐ जय परशुधारी..॥ ताम्र श्याम घन केशा,शीश जटा बांधी।सुजन हेतु ऋतु मधुमय,दुष्ट दलन आंधी ॥ॐ जय परशुधारी..॥ मुख रवि…

  • मातङ्गी जयंती – Matangi Jayanti
    मातङ्गी जयंती – Matangi Jayanti

    Matangi Jayanti देवी मातंगी जयंती बैसाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। भक्त देवी मातंगी की पूजा और धार्मिक समारोह करते हैं। महत्वपूर्ण दश महाविद्याओं में नौवीं के रूप में मानी जाने वाली देवी मातंगी को ‘तांत्रिक सरस्वती’ के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार मातंगी जयंती आशा तृतीया को…

  • गणपति अथर्वशीर्ष मंत्र -Ganapathy Atharvaseersham Mantar
    गणपति अथर्वशीर्ष मंत्र -Ganapathy Atharvaseersham Mantar

    Ganapathy Atharvaseersham Mantar गणपति अथर्वशीर्ष – ॐ नमस्ते गणपतये ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः ।भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाग्‍ँसस्तनूभिः ।व्यशेम देवहितं यदायूः । स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः ।स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः ।स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ॐ नमस्ते गणपतये ॥१॥ त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि ।त्वमेव केवलं कर्ताऽसि ।त्वमेव केवलं धर्ताऽसि ।त्वमेव केवलं हर्ताऽसि…

  • भद्रा – Bhadra
    भद्रा – Bhadra

    Bhadra भद्रा, हिंदू धर्म के अनुसार भद्रा काल को अशुभ समय माना जाता है। पंचांग के अनुसार भद्रा काल एक विशेष अवधि है जिसे अशुभ समय माना जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य या समारोह को करने से बचने की सलाह दी जाती है। हर त्यौहार पर भद्रा काल का विशेष महत्व है।…

  • मेरे प्रभु राम आये हैं भजन – Mere Prabhu Ram Aye Hain
    मेरे प्रभु राम आये हैं भजन – Mere Prabhu Ram Aye Hain

    Mere Prabhu Ram Aye Hain राम लक्ष्मण जानकी,जय बोलो हनुमानराम लक्ष्मण जानकी,जय बोलो हनुमानसिया वर रामचंद्र की जयप्रभु रामचंद्र की जय अवध मे होरही जय जयकारमेरे प्रभु राम आये हैंअवध मे हो रही जय जयकारमेरे प्रभु राम आये हैं संग सिया लक्ष्मण को लेकरअंजनी पुत्र भी आये हैं अवध मे होरही जय जयकारमेरे प्रभु राम…

  • श्री दंदरौआ हनुमान चालीसा (Dandraua Hanuman Chalisa)
    श्री दंदरौआ हनुमान चालीसा (Dandraua Hanuman Chalisa)

    Dandraua Hanuman Chalisa जय -जय -जय हनुमान कृपाला,करो सदा संतन प्रतिपाला ॥ मंगल ,शनि को जो कोई जावै,चोला तुम्हरे अंग चढ़ावै ॥ रीझो तुम जो अधिक सदाई,मन इच्छा पूरण हो जय ॥ भक्तन हित कलयुग के राजा,राम प्रताप तिलक तुम राजा ॥ राम भक्ति अग्रणी हमेशा,सुमिरत तुमको मिटै कलेशा ॥ राम सदा वश में कर…

  • कौन लंका जला पाता भजन (Kon Lanka Jala Pata Bhajan)

    Kon Lanka Jala Pata Bhajan दोहा देख के सागर की लहरों को,वानर सब घबराये ।कैसे होगा पार ये सागर, मन ही मन सकुचाये ॥जामवंत ने बजरंगी से जाकर करी गुहारसिवा तुम्हारे कौन ये सागर कर पायेगा पार कौन लंका जला पाता,अगर हनुमान न होते ।पता न सीता का लग पाता अगर हनुमान न होते ॥…

  • श्री यमुनाष्टक (Shri Yamunashtakam)
    श्री यमुनाष्टक (Shri Yamunashtakam)

    Shri Yamunashtakam नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदामुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम । तटस्थ नव कानन प्रकटमोद पुष्पाम्बुनासुरासुरसुपूजित स्मरपितुः श्रियं बिभ्रतीम ॥१॥ कलिन्द गिरि मस्तके पतदमन्दपूरोज्ज्वलाविलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता । सघोषगति दन्तुरा समधिरूढदोलोत्तमामुकुन्दरतिवर्द्धिनी जयति पद्मबन्धोः सुता ॥२॥ भुवं भुवनपावनीमधिगतामनेकस्वनैःप्रियाभिरिव सेवितां शुकमयूरहंसादिभिः । तरंगभुजकंकण प्रकटमुक्तिकावाकुका-नितन्बतटसुन्दरीं नमत कृष्ण्तुर्यप्रियाम ॥३॥ अनन्तगुण भूषिते शिवविरंचिदेवस्तुतेघनाघननिभे सदा ध्रुवपराशराभीष्टदे । विशुद्ध मथुरातटे सकलगोपगोपीवृतेकृपाजलधिसंश्रिते मम मनः…