परमात्मा शब्द नहीं जो तुम्हें पुस्तक में मिलेगा,
परमात्मा मूर्ति नहीं जो तुम्हें मंदिर में मिलेगी,
परमात्मा मनुष्य नहीं जो तुम्हें समाज में मिलेगा,
परमात्मा जीवन है जो तुम्हें अपने भीतर मिलेगा। 

  • महेश नवमी – Mahesh Navami
    महेश नवमी – Mahesh Navami

    हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महादेव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। महेश नवमी का पारंपरिक मान्यतामहेश नवमी माहेश्वरी समाज का सबसे बड़ा त्योहार है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार माहेश्वरी वंश की उत्पत्ति युधिष्ठिर संवत 9 की ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को हुई…

  • हारा हूं बाबा पर तुझपे भरोसा है भजन – Hara Hoon Baba Par Tujhpe Bharosa Hai Bhajan
    हारा हूं बाबा पर तुझपे भरोसा है भजन – Hara Hoon Baba Par Tujhpe Bharosa Hai Bhajan

    || हारा हु बाबा भजन || हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा हैजीतूंगा एक दिन मेरा दिल ये कहता है मेरे मांझी बन जाओ मेरी नाव चला जाओबेटे को बाबा श्याम गले लगा जाओहारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा हैजीतूंगा एक दिन मेरा दिल ये कहता है मैंने सुना है तू दुखड़े मिटाताबिन बोले भक्तों…

  • गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa)
    गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa)

    Gopal Chalisa ॥ दोहा ॥श्री राधापद कमल रज,सिर धरि यमुना कूल।वरणो चालीसा सरस,सकल सुमंगल मूल॥ ॥ चौपाई ॥जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी।दुष्ट दलन लीला अवतारी॥जो कोई तुम्हरी लीला गावै।बिन श्रम सकल पदारथ पावै॥ श्री वसुदेव देवकी माता।प्रकट भये संग हलधर भ्राता॥मथुरा सों प्रभु गोकुल आये।नन्द भवन में बजत बधाये॥ जो विष देन पूतना आई।सो मुक्ति…

  • नन्दा व्रत विधान  शिवस्तुति -(Nanda Vrat Vidhan Shiv Stuti)
    नन्दा व्रत विधान शिवस्तुति -(Nanda Vrat Vidhan Shiv Stuti)

    Nanda Vrat Vidhan Shiv Stuti देवा ऊचुः ।नमो भगवते तुभ्यं यत एतच्चराचरम् ।पुरुषाय महेशाय परेशाय महात्मने ॥ ३६॥ आदिबीजाय सर्वेषां चिद्रूपाय पराय च ।ब्रह्मणे निर्विकाराय प्रकृतेः पुरुषस्य च ॥ ३७॥ य इदं प्रतिपञ्च्येदं येनेदं विचकास्ति हि ।यस्मादिदं यतश्चेदं यस्येदं त्वं च यत्नतः ॥ ३८॥ योऽस्मात्परस्माच्च परो निर्विकारी महाप्रभुः ।ईक्षते यस्स्वात्मनीदं तं नताः स्म स्वयम्भुवम् ॥…

  • प्रथम बूढ़ा मंगल – First Budha Mangal
    प्रथम बूढ़ा मंगल – First Budha Mangal

    First Budha Mangal पूर्वी उत्तर प्रदेश, जिनमे प्रमुख शहर कानपुर, लखनऊ एवं वाराणसी में जेठ(ज्येष्ठ) मास में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। कहीं-कहीं भक्त इसे बूढ़े मंगल के नाम से भी जानते है। इस दिन संकट मोचन श्री हनुमंत लाल की हनुमान तथा बालाजी मंदिर में पूजा, सुन्दर कांड पाठ, हनुमान चालीसा पाठ एवं हनुमान जी…

  • तोटकाष्टकम (Totakaashtakam)
    तोटकाष्टकम (Totakaashtakam)

    Totakaashtakam ॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥यहाँ एक लेख है जिसमें आदि शंकराचार्य के सम्मान में रचित आठ श्लोक तोटकष्टकम शामिल हैं। इसमें अद्वैत परम्परा का संक्षिप्त विवरण और शंकर के शिष्य तोटक का संक्षिप्त विवरण शामिल है।विदिताखिलशास्त्रसुधाजलधेमहितोपनिषत् कथितार्थनिधे ।हृदये कलये विमलं चरणंभव शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ १ ॥ करुणावरुणालय पालय मांभवसागरदुःखविदूनहृदम् ।रचयाखिलदर्शनतत्त्वविदंभव शङ्कर देशिक मे शरणम्…

  • भगवान गणेश के 32 नाम (32 Namavali of Bhagwan Ganesh)
    भगवान गणेश के 32 नाम (32 Namavali of Bhagwan Ganesh)

    32 Namavali of Bhagwan Ganesh बाला गणपति – ॐ बाला गणपतये नमः।तरूण गणपति – ॐ तरूणाये नमः।भक्ति गणपति – ॐ भक्ति गणपतये नमः।वीरा गणपति – ॐ वीरा गणपतये नमः।शक्ति गणपति – ॐ शक्ति गणपतये नमः।द्विज गणपति – ॐ द्विज गणपतये नमः।सिद्धि गणपति – ॐ सिद्धि गणपतये नमः।उच्छिष्ट गणपति – ॐ उच्छिष्ट गणपतये नमः।विघ्न गणपति –…

  • घुमा दें मोरछड़ी भजन (Ghuma De Morchadi Bhajan )

    Ghuma De Morchadi Bhajan दोहा:बाबा थारी मोरछड़ी,घूमे करे कमाल ।धूम मची खाटू नगर में,भक्तां करे धमाल ॥ हीरा मोत्या जड़ी जड़ी,संकट काटे खड़ी खड़ी,मेरे सर पे बाबा श्याम,घुमा दें मोरछड़ी,मेरे सर पे बाबा श्याम,घुमा दें मोरछड़ी ॥ शरण पड्या म्हे थारी अरज करा,खोलो पट बाबा तेरा दरश करा,तेरो बहुत बड़ो रे नाम,घुमा दें मोरछड़ी,तेरो बहुत…

  • मंत्र निर्वाण षट्कम (Nirvana Shatakam Mantar)
    मंत्र निर्वाण षट्कम (Nirvana Shatakam Mantar)

    Nirvana Shatakam Mantar मनो-बुद्धि-अहंकार चित्तादि नाहंन च श्रोत्र-जिह्वे न च घ्राण-नेत्रे ।न च व्योम-भूमी न तेजो न वायुचिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ १॥ न च प्राण-संज्ञो न वै पञ्च-वायु:न वा सप्त-धातुर्न वा पञ्च-कोष: ।न वाक्-पाणी-पादौ न चोपस्थ पायु:चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ २ ॥ न मे द्वेष-रागौ न मे लोभ-मोहौमदे नैव मे नैव मात्सर्य-भाव: ।न धर्मो न चार्थो…