Sahansar Nama

Sahansar Nama-सहंसर नामा

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मारू महला ५ ॥

अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ 

मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ 

रिखीकेस गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥१॥


मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ 

जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ 

जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥२॥


धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ 

दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण ॥ 

बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा ॥३॥


स्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ 

बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ 

सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥४॥


भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ 

गोपी नाथु सगल है साथे ॥ 

बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥५॥


मुकंद मनोहर लखमी नाराइण ॥ 

द्रोपती लजा निवारि उधारण ॥ 

कमलाकंत करहि कंतूहल अनद बिनोदी निहसंगा ॥६॥


अमोघ दरसन आजूनी स्मभउ ॥ 

अकाल मूरति जिसु कदे नाही खउ ॥ 

अबिनासी अबिगत अगोचर सभु किछु तुझ ही है लगा ॥७॥


स्रीरंग बैकुंठ के वासी ॥ 

मछु कछु कूरमु आगिआ अउतरासी ॥ 

केसव चलत करहि निराले कीता लोड़हि सो होइगा ॥८॥


निराहारी निरवैरु समाइआ ॥ 

धारि खेलु चतुरभुजु कहाइआ ॥ 

सावल सुंदर रूप बणावहि बेणु सुनत सभ मोहैगा ॥९॥


बनमाला बिभूखन कमल नैन ॥ 

सुंदर कुंडल मुकट बैन ॥ 

संख चक्र गदा है धारी महा सारथी सतसंगा ॥१०॥


पीत पीत्मबर त्रिभवण धणी ॥ 

जगंनाथु गोपालु मुखि भणी ॥ 

सारिंगधर भगवान बीठुला मै गणत न आवै सरबंगा ॥११॥


निहकंटकु निहकेवलु कहीऐ ॥ 

धनंजै जलि थलि है महीऐ ॥ 

मिरत लोक पइआल समीपत असथिर थानु जिसु है अभगा ॥१२॥


पतित पावन दुख भै भंजनु ॥ 

अहंकार निवारणु है भव खंडनु ॥ 

भगती तोखित दीन क्रिपाला गुणे न कित ही है भिगा ॥१३॥


निरंकारु अछल अडोलो ॥ 

जोति सरूपी सभु जगु मउलो ॥ 

सो मिलै जिसु आपि मिलाए आपहु कोइ न पावैगा ॥१४॥


आपे गोपी आपे काना ॥ 

आपे गऊ चरावै बाना ॥ 

आपि उपावहि आपि खपावहि तुधु लेपु नही इकु तिलु रंगा ॥१५॥


एक जीह गुण कवन बखानै ॥ 

सहस फनी सेख अंतु न जानै ॥ 

नवतन नाम जपै दिनु राती इकु गुणु नाही प्रभ कहि संगा ॥१६॥


ओट गही जगत पित सरणाइआ ॥ 

भै भइआनक जमदूत दुतर है माइआ ॥ 

होहु क्रिपाल इछा करि राखहु साध संतन कै संगि संगा ॥१७॥


द्रिसटिमान है सगल मिथेना ॥ 

इकु मागउ दानु गोबिद संत रेना ॥ 

मसतकि लाइ परम पदु पावउ जिसु प्रापति सो पावैगा ॥१८॥


जिन कउ क्रिपा करी सुखदाते ॥ 

तिन साधू चरण लै रिदै पराते ॥ 

सगल नाम निधानु तिन पाइआ अनहद सबद मनि वाजंगा ॥१९॥


किरतम नाम कथे तेरे जिहबा ॥ 

सति नामु तेरा परा पूरबला ॥ 

कहु नानक भगत पए सरणाई देहु दरसु मनि रंगु लगा ॥२०॥


तेरी गति मिति तूहै जाणहि ॥ 

तू आपे कथहि तै आपि वखाणहि ॥ 

नानक दासु दासन को करीअहु हरि भावै दासा राखु संगा ॥२१॥२॥११॥


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