Somvati Amavasya
सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। गणित के प्रायिकता सिद्धांत के अनुसार अमावस्या वर्ष में एक अथवा दो बार ही सोमवार के दिन हो सकती है। परन्तु समय चक्र के अनुसार अमावस्या का सोमवती होना बिल्कुल अनिश्चित है।
हरिद्वार कुंभ के दौरान सोमवती अमावस्या का दिन बहुत ही पवित्र माना गया है, इस दिन नागा साधुओं द्वारा शाही स्नान भी किया जाता है।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या का एक विशेष महत्त्व है। सोमवती अमावस्या की पूजा से जुड़ी कुछ भिन्न-भिन्न मान्यताएँ हैं।
प्रथम मान्यता के अनुसार: सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएँ तुलसी माता की 108 परिक्रमा लगाते हुए कोई भी वस्तु / फल दान करने का संकल्प लेतीं हैं।
दूसरी मान्यता के अनुसार: सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएँ पीपल के व्रक्ष की भँवरी (108 परिक्रमा) करतीं हैं, तथा अखंड सौभाग्य की कमाननाएँ करती हैं। साथ ही साथ, श्री गौरी-गणेश एवं सोमवती व्रत कथा पाठ के साथ वस्तु अथवा फल दान करने का संकल्प लेतीं हैं। पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास माना गया है अतः इस मत के अनुसार पीपल की पूजा की जाती है।
शुरुआत तिथि | सोमवार के दिन की अमावस्या |
कारण | स्वयं को अध्यात्मिक शुद्धता प्रदान करने के लिए। |
उत्सव विधि | व्रत, गंगा स्नान, नदी स्नान, दान, भजन, कीर्तन। |
![somvati amavsya vart katha](https://www.divinesoul.in/wp-content/uploads/2024/04/IMG_1774.jpeg)
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