Bhuteshwar Ne Dhyalo Ji
भूतेश्वर ने ध्यालों जी , भाग्य जगा लो जी
भगता रो यो रखपाल,बैठ्यो भोलो धणी ॥
माथे ऊपर चंदा सोहे , जटा में गंग विराजे रे
मुकुट मणि री आभा सोहे , नाग गले में साजे रे ।
आ जे आज रीझा ल्यो जी , बिगड़ा काम बना ल्यो जी
भगता रो यो रखपाल, बैठ्यो भोलो धणी ॥
आक धतूरा खावे बाबो, भंगिया भोग लगावे रे,
अंग भभूत रमावे भोलो, धुनि अलख जगावे रे,
गंगा जल सु नहा ल्यो जी, काचो दूध चढ़ा ल्यो जी,
भगता रो यो रखपाल, बैठ्यो भोलो धणी ॥
नीलकंठ बाबा को म्हाने, रूप सुहानो लागे रे,
भोला जी को ध्यान धरया सू , सगला संकट भागे रे
भक्तों मिलकर ध्यालों जी , सगठा कष्ट मिटा ल्यो जी
भगता रो यो रखपाल, बैठ्यो भोलो धणी ॥
सोमवार ने भूतनाथ, दर्शन री महिमा भारी रे,
निशदिन माथो टेकन, आवे नर ने नारी रे,
'हर्ष' के सागे चालो जी, जाकर दर्शन पा लो जी,
भगता रो यो रखपाल, बैठ्यो भोलो धणी ॥
भूतेश्वर ने ध्यालों जी , भाग्य जगा लो जी
भगता रो यो रखपाल, बैठ्यो भोलो धणी ॥
भूतेश्वर ने ध्यालो जी भजन का मुख्य उद्देश्य है शिव जी के शिव जी के भूतेश्वर रूप की भक्ति । पंक्तियों में शिव जी को भक्तों का रक्षक बताकर उनके हर बिगड़े हुए काम बनाने वाला बताया गया है