Guru nanak dev ji biography -  गुरु नानक देव जी की जीवनी और उपदेश
प्रकाशित November 08, 2025
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गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक होने के साथ साथ सीखो के प्रथम गुरु थे। इन्होंने सिख धर्म की नीव रखी थी।
गुरु नानक देव जी की संपूर्ण जानकारी
जन्म और जन्म स्थान - 15 अप्रेल 1469 ईस्वी में तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान में हुआ।
पिता का नाम - कल्याणचंद मेहता उर्फ कालूचंद
माता का नाम - तृप्ता देवी जी
बहन का नाम -  नानकी
विवाह।    - 1487 में बटाला
पत्नी का नाम -  माता सुलखनी
पुत्र - लक्ष्मीदास(छोटे बेटे) ओर श्रीचंद (बड़े बेटे)
समाधि स्थल -  करतारपुर साहिब, पाकिस्तान
मृत्यु -  22 सितंबर 1539 ई
उत्तराधिकारी - भाई लहना जो बाद में गुरु अंगद देव जी के नाम से जाने गए

गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षा
बचपन से ही गुरु नानक देव जी का झुकाव सांसारिक विषयों की बजाय आध्यात्मिक चिंतन की ओर था।
. गुरु नानक देव जी अंधविश्वास का विरोध करते थे। इन्होंने ने एक प्रसंग में जनेऊ धारण करने से मना कर दिया था ।
. बचपन में पिता जी ने 20 रुपए देकर गुरु जी को कोई सच्चा सौदा करने को कहा तो गुरु नानक देव जी ने उन्हीं पैसों से साधु संतों को भोजन करवा दिया ।

गुरु नानक देव जी की उदासियां (यात्राएं)
गुरु नानक देव जी दो बेटों के जन्म के बाद अपने साथी भाई मरदाना. लहना बाला और रामदास के साथ लंबी यात्रा के लिए घर से निकल गए ।
. इन उदासियों में उन्होंने भारत अफगानिस्तान, फारस केके प्रमुख सस्थानों का भ्रमण किया और घूम-घूम कर अपने उपदेशों व शिक्षा को लोगों तक पहुंचाया।

गुरु नानक देव जी के समाज सुधारक कार्य
. उन्होंने मूर्ति पूजा का खंडन किया।
. उन्होंने लंगर की शुरुआत की
. इन्होंने ईश्वर की एकता पर जोर दिया और एक ओंकार सतनाम के संदेश दिया ।

 गुरु नानक देव जी के मुख्य उपदेश
. ईश्वर एक है ।
. कीरत करो और खाओ (मेहनत करो और खाओ)
. सभी स्त्री और पुरुष एक सामान है ।

गुरुनानक देव जी का अंतिम समय ओर उत्तराधिकार
. अपने जीवन के अंतिम क्षणों में इन्होंने करतारपुर (पाकिस्तान) मैं एक नगर बसाया और वहीं पर रहते हुए एक धर्मशाला बनवाई ।
. मृत्यु से पहले ही इन्होंने अपने प्रिय शिष्य भाई लेना सिंह जी को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया जो बाद में सिख धर्म के दूसरे गुरु अंगद देव जी के रूप में जाने गए।